Fathers Day Poetry In Hindi

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Fathers Day Poetry In Hindi

कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता।
एक पिता के रूप में हर घर में
होता है नींव का पत्थर,
कभी अभिमान तो कभी
स्वाभिमान बनता पिता रूपी
नींव का पत्थर,
अक्सर कल्पतरु बन जाता
नींव का पत्थर।
-अनीता गुप्ता


पिता है वो बरगद की छाँव
जो स्वाभिमान से सर उठाए रहता है खड़ा
जिसके तले जाने कितने ही जीव – जन्तु
खुशी और बिन्दास आश्रय पाते ही रहते
महफूज जिन्दगी बिताते ही रहते
हमारे घर भी
कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता
जिनकी उपस्थिति ही सारे दुखों को दूर किए है रहता
अभिमान से घर का दरवाजा चहकता रहता
क्योंकि उस दरवाजे का मालिक है
शक्तिशाली और पराक्रमी ।।
-मंजू लता


कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता
जीवन के हर कदमों को राह दिखाता है वह पिता
जो अदृश्य है पर उसके मूल्य आज भी जीवंत मुझ में
उसके चरित्र पर अभिमान है मुझे
उसके व्यक्तित्व से बढ़ा है स्वाभिमान मेरा
शत शत नमन अपने उस पूज्य पिता को
जिसने दी है जीवन जीने लायक कला मुझे
-मधु खरे


कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान से पिता
सृष्टि की अनमोल रचना है पिता,
हम सभी बच्चों की जान है पिता,
अंदर से कोमल बाहर से कठोर,
हम सबका अभिमान होता है पिता,
दिन रात करता है मेहनत वो…..,
तभी तो हमारा स्वाभिमान होता पिता। ।
-डाॅ राजमती पोखरना सुराना

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