Hindi December Quotes
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Hindi December Quotes

Hindi December Quotes, एक अधुरी दास्तां, अपनी ताकत को पहचानो, रात कहानी कहती है,जिन आंखों से, कभी किसी मोड़ पर‌, कितनी चाहत थी हम दोनो में,कितनी सुन्दर प्रेम् कहानी थी हमारीपर वक़्त की बेरहम आँधी नेहमारी कहानी को अधूरी दास्तान् बना दिया।— Anita Gupta पूरी करती हूँ अधूरी दास्तां,जो आज है एक स्वप्न मेरा।विश्वास ,कर्तव्य…

Hindi January Quotes
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Hindi January Quotes

Hindi January Quotes, ख़ुद को समझने के लिए, इस नए साल में, पहले जैसी बात नहीं, कुछ अनजाने लोग, जिंदगी गुमराह करती हैं, कलाकार‌ की कला का प्रदर्शन होते ही, भाव से अभिव्यक्ति तक, आओ, हम मिलकर संकल्प लें नए साल मेंकभी किसी का दिल न दुखाएं नए साल मेंउदास चेहरे पर भी खुशियां लाए…

रास्ते खुल जायेगे
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रास्ते खुल जायेगे

रास्ते खुल जायेगे आओ, मिलकर हम कुछ नया संकल्प करेंजी लेंजिंदगी कोभरपूर हम, मस्ती का आलिंगन करेंछोड़ मायूसियों को हमें, मंज़िल की ओर बढ़ना होगामंज़िल तो पा ही लेंगे हम और कुछ न कुछ तो नया भी होगा!!— Pushpa Pandey चलो मायूसी को छोड़, एक नए सफर की ओर चलेंकुछ न कुछ तो होगा ही,…

मैं तेरा मुखड़ा पढ़ता हूं
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मैं तेरा मुखड़ा पढ़ता हूं

मैं तेरा मुखड़ा पढ़ता हूं अपने सपनो का घरना कोई चिन्ता ना गम हो,सब जन दिल के करीब हो,मनमुटाव, मतभेद से बहुत दूर,स्वर्ग सा अपने सपनो का घर हो।।— Rajmati Pokharna Surana जीवन एक सपना ही है,सपने पूरे करना ही जिंदगी है।इससे पहले जिंदगी पूरी हो,सपने पूरे करने करने हैं।सपनों को पूरा करने की लगनजीवन…

धर्म की आड़ में
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धर्म की आड़ में

धर्म की आड़ में मुँह में रामनाम है,और हाथ में जाम हैकहीं अल्लाह, कहीं राम,कहीं ईसा मसीह है, कहीं राम हैधर्म की आड़ मेंक़त्ल कर रहा इंसान हैकभी मज़हब तो कभी मान हैअपनी बनाई रचना परस्तब्ध है सृष्टि आजमौन है…हैरान है… भोला बचपन बीत गयाकिताबें और बस्ता पीछे छूट गयानौकरी की तलाश मेंपैरों पे पहिया…

हर चुनौती को स्वीकारा है मैंने
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हर चुनौती को स्वीकारा है मैंने

हर चुनौती को स्वीकारा है मैंने कुछ इस तरह से तुझको जिया है मैंने ऐ ज़िन्दगीकि तेरे हर रंग से मैने होली खेली है। कभी दोस्तों के साथ तो कभी अकेले हीमैने ये दुनिया टटोली है। कभी हँसकर, कभी हँसाकर  तो कभी रोकरतुझसे हर पल बेहद मुहब्बत की है। माना कि तेरा कोई दिन ना…

मैं क्यों लिखती हूँ
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मैं क्यों लिखती हूँ

मैं क्यों लिखती हूँ श्याम से श्वेत तक कुछ रंगों की ,बिखरी कथाओं को और,कभी कुछ हार्दिक यादों को समेटती हूँ,कभी आनंदित संतुलन के स्तर तकआत्मा को ऊपर उठाने का प्रयास करती हूँ,तो कभी मैं लिख करसुंदर अनुभव को परिभाषित करने का प्रयास करती हूँ,इसीलिए मैं लिखती हूँ… हो सकता है, यह अपने आप का…

वो चेहरा
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वो चेहरा

वो चेहरा गुम-सुम, गुम-सुम थी वो आँखेंथकी थकी सी सांसें उसकी घुटी–घुटी सी थी एक हंसीडरा-डरा सा चेहरा था उसकासहमा-सहमा रहता था वो| बिखरी-बिखरी यादें उसकीउजड़ा-उजड़ा बचपन जीतामांग-मांग कर खाता था वोपाई-पाई न जोड़ पाता था वोपोथी-पोथी को तरसता था वो| धुंधली-धुंधली आशा की एक किरणदूर-दूर तक खोजता था वोसिसकती-सिसकती तकदीर भी हारीरोज-रोज़ की पीड़ा से…

नए शहर की वो पहली रात
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नए शहर की वो पहली रात

नए शहर की वो पहली रात -रंजीता नाथ घई सृजन नया था माहौल नयी सी बेचैनीऔर नई सी आबोहवा थीआँखों में कुछ नए-नए से सपने थेकितने ही सवाल मन को गुद्गुताते थेऔर कुछ मन में उलझने थीयाद है आज भी मुझेनए शहर की वो पहली रात… नए से घर में अनजान सी वो दीवारें थीलंबी-…

विश्वरुपम योगी
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विश्वरुपम योगी

विश्वरुपम योगी राधा संग तूने प्रीत रचाई,गोपियों संग रास रचाके तूने पूरे जग में धूम मचाई|माखन तूने चुरा के खाया,बांसुरी की धुन पे तूने चिड़िया को जगाया|गैया तूने खूब चराई,गोवर्धन से तूने मथुरा बचाई| सुदर्शन उठाया की धर्म की रक्षा,असुरों को तूने तनिक न बक्शा|प्रीत की राह तूने जग को सिखाई,सुदामा से दोस्ती निभा एक…

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