Father’s Day Poetry In Hindi | कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता। जब माँ डॉँटती थी तो कोई चुपके से हँसता था
Father’s Day Poetry In Hindi | कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता। जब माँ डॉँटती थी तो कोई चुपके से हँसता था कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता।एक पिता के रूप में हर घर मेंहोता है नींव का पत्थर,कभी अभिमान तो कभीस्वाभिमान बनता पिता रूपीनींव का पत्थर,अक्सर कल्पतरु बन जातानींव का पत्थर।-अनीता गुप्ता…