अमर कविता
अमर कविता by Anupama Jha अमर,अजेयनिर्भीक, निर्भयसब कालों में व्याप्त हैकोई उसका पर्याय नहींयह स्वयं पर्याप्त है,शब्द है यह गाथा हैकाव्य है,यह कविता हैहर युग में, हर काल मेंलिखा गया,कवि मन का गीतयह शब्दों की सरिता है।रौद्र कभी,वात्सल्य कभीकभी विभत्स, कभी श्रृंगार हैछंदो में बहता मलय पवन साकभी बारिश कि फुहार है।स्याही से जो जाता…