धक्कमधुक्की
कल सुबह से ही दिन थोड़ा आलस वाला था । ये बदलता मौसम ही आलस दे जाता है , कई सारे काम सुबह से इंतजार कर रहे थे और मन सब कुछ लटका रहा था । मै कई बार उठी काम करने के लिये और वापस आलस्य मे पड़ गयी । इसके बाद तो अति…
कल सुबह से ही दिन थोड़ा आलस वाला था । ये बदलता मौसम ही आलस दे जाता है , कई सारे काम सुबह से इंतजार कर रहे थे और मन सब कुछ लटका रहा था । मै कई बार उठी काम करने के लिये और वापस आलस्य मे पड़ गयी । इसके बाद तो अति…
हर सौतेली माँ बुरी नहीं होती by Roshni Borana कहते है की जन्म देने वाली माँ से बढ़कर होती है उसे पालन पोषण करने वाली माँजैसे कृष्ण को जन्म देने वाली जानकी मैय्या से बढ़कर उनका लालन पालन करने वाली यशोदा मैय्या थीपर क्या असल जिन्दगी मे कोई यशोदा मैय्या जैसे हो सकता है….??हाँ हो…
गुलाबी शहर by Ranjeeta Ashesh चौक की दीवारें गुलाबी रंग वालीकहीं सूखी लाल मिर्च का ढेरतो कहीं लक्ष्मी मिष्ठान की शाही थाली। जब जंतर मंतर की देखी कार्य प्रणालीसूरज,ग्रह, समय,नक्षत्र के अद्भुत मेल नेमेरे ज्ञान की जड़े हिला डाली। कहीं भागते लोग,कहीं गाड़ियों का शोररंग बिरंगे लहंगे बिकते पूरे बाज़ारचाँदी की चमकती झुनकी कर देती…
ज़िन्दगी से मोहब्बत हो गयी है by आतिफ Tujhse Mohabbat Karke Zindagi se Mohabbat ho gayi hai,Shaam to Roz hoti thi Par ab kitni Khoobsurat ho gayi hai. Yun to Ab Tak nahi kar saka tha Mere Dil pe Hukumat Koi,Par Aaj is Dil Pe kisi Ki Hukumat Ho gayi hai. Guzarta hun Jin Galiyon…
अमर कविता by Anupama Jha अमर,अजेयनिर्भीक, निर्भयसब कालों में व्याप्त हैकोई उसका पर्याय नहींयह स्वयं पर्याप्त है,शब्द है यह गाथा हैकाव्य है,यह कविता हैहर युग में, हर काल मेंलिखा गया,कवि मन का गीतयह शब्दों की सरिता है।रौद्र कभी,वात्सल्य कभीकभी विभत्स, कभी श्रृंगार हैछंदो में बहता मलय पवन साकभी बारिश कि फुहार है।स्याही से जो जाता…
हिंदी का बहिष्कार क्यों? ॠषिका घई सृजन हिंदी से सरल कोईभाषा नही फिर भीझिझक होती है बोलने में इतनीन जाने ऐसे क्यों होता है? मातृभाषा होते हुए भी नकारी जाती हैऔर अंग्रजी को बड़ावा मिलता हैदेशवासी भूल जाते है अक्सरकी राष्ट्रभाषा हिंदी हि सब भाषाओं का मिश्रण है| “हिंदी बोलने से हमारा औदा गिर जायेगा”हमारी…
खेल लेना तुम होली आज मेरे बगैर -रंजीता नाथ घई सृजन रंग रौशनी हैरंग खुशबू हैरंग मौसकी हैरंग एक एहसास हैरंग ही तो इस फीके से जीवन मेंलाती एक उन्मुक्त उमंग हैपर सुनो, खेल लेना तुम होली आज मेरे बगैरआई रे आई होली आईरंगों में नहाई विरह की होली आई| आज यादों के गलिआरे से…
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