धक्कमधुक्की

Every purchase made through our affiliate links earns us a pro-rated commission without any additional cost to you. Here are more details about our affiliate disclosure.

कल सुबह से ही दिन थोड़ा आलस वाला था । ये बदलता मौसम ही आलस दे जाता है , कई सारे काम सुबह से इंतजार कर रहे थे और  मन सब कुछ लटका रहा था । मै कई बार उठी काम करने के लिये और वापस आलस्य मे पड़ गयी ।
इसके बाद तो अति ही हो गयी “मन और दिमाग मे हो गयी भयंकर लड़ाई “इसी चक्कर मे “कागज और कलम ने एक बार फिर से मेरी तरफ दौड़ लगाई ”

धक्कमधुक्की

-by Shikha

 ऐ मन ! इधर आओ अब जरा ध्यान लगाओ
प्यार से मेरी बातों को सुनो फिर गुनो

हट करके काम कर लो
झटपट करके ही काम कर लो

आत्ममुग्ध मत रहो
अपने पर विश्वास करो

चिंतन को साथ रखो
चिंतक के पास रहो

चित्त को शांत रखो
लेकिन निंदक के पास रहो

वो रहे ईर्ष्या करने वाले लोग
साथ उनका छोड़ दो
अपने पथ को मोड़ लो

पगडंडियों पर चलना है
कीचड़ का भी साथ मिलेगा
पाँव को मलिन करेगा

उसकी चिंता छोड़ दो
ईश्वर का साथ है
उन्ही से तो आस है
मन में विश्वास है

रास्ते कठिन जरूर है
सफर पर निकल पड़े हैं
हम चले तो तुम भी चलो

फालतू की बातें छोड़ दो
चलो हमारे संग चलो
अब बीच मे मत तंग करो

रंज भी तो अब बढ़ेंगे
क्यूँकि तंज भी बहुत मिलेंगे

ऐ मन !अपने मे उमंग भरो
मन मे उमंग है
तो दुनिया तुम्हारे संग है

You Might Like To Read Other Hindi Poems

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *