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आज फिर उस मोड़ पर मुड़ना हुआ
आज फिर उस मोड़ पर मुड़ना हुआ
जब रखा था पहला कदम मैंने इस देहलीज़ पर…..
मन में डर और एक अजीब सी बेचैनी थी,
नए थे गलियारे और नयी सी दीवारें थी,
थम सी जाती थी हँसी और कशमकश से जूझती थी,
फिर दिखी एक सुनहरी किरन, इंद्रधनुष से रंग बिखेरती किरन,
आत्मविश्वास जगाती एक किरन, तूफानों को थामती हुई किरन,
भविष्य की आहट पहचान, आगे बढऩे का हौसला देती वो किरन,
आज फिर उस मोड़ पर मुड़ना हुआ
जब रखा था पहला कदम मैंने इस देहलीज़ पर…..
कौन पकड़ पाया है रिशतों को और रेत को,
जितना समेटना चाहा उतना ही हाथों से सरकती गई,
हाथ कल भी खाली थे और आज भी खाली है,
बीते कल के पास न कहने को कुछ नया है,
न इसके पास तुझे देने को कुछ नया है,
कुछ है तो बस एक मीठा सा ऐहसास है,
एक प्यारी सी मुसकान है, एक अपनेपन का आगास है,
आज फिर उस मोड़ पर मुड़ना हुआ
जब रखा था पहला कदम मैंने इस देहलीज़ पर…..
तूने किया वो सब जो तेरे बस में था,
उसी बंधन से मुक्त हो आगे बढ़ने का समय आया है,
पल-पल, क्षण-क्षण, नई उडान भरते हुए
नए गीत गाने हैं, तसवीर में नए रंग भरने हैं,
सप्त चक्र के जीवन में सुमधुर यादें बटोरने का,
कुछ अपनो से विदा लेने का, कुछ नए रिश्ते जोड़ने का वक्त आया है,
आज फिर उस मोड़ पर मुड़ना हुआ
जब रखा था पहला कदम मैंने इस देहलीज़ पर…..
aaj phir us mod par mudana hua
aaj phir us mod par mudana hua
jab rakha tha pahala kadam mainne is dehaleez par…..
man mein dar aur ek ajeeb see bechainee thee,
nae the galiyaare aur nayee see deevaaren thee,
tham see jaatee thee hansee aur kashamakash se joojhatee thee,
phir dikhee ek sunaharee kiran, indradhanush se rang bikheratee kiran,
aatmavishvaas jagaatee ek kiran, toophaanon ko thaamatee huee kiran,
bhavishy kee aahat pahachaan, aage badhane ka hausala detee vo kiran,
aaj phir us mod par mudana hua
jab rakha tha pahala kadam mainne is dehaleez par…..
kaun pakad paaya hai rishaton ko aur ret ko,
jitana sametana chaaha utana hee haathon se sarakatee gaee,
haath kal bhee khaalee the aur aaj bhee khaalee hai,
beete kal ke paas na kahane ko kuchh naya hai,
na isake paas tujhe dene ko kuchh naya hai,
kuchh hai to bas ek meetha sa aihasaas hai,
ek pyaaree see musakaan hai, ek apanepan ka aagaas hai,
aaj phir us mod par mudana hua
jab rakha tha pahala kadam mainne is dehaleez par…..
toone kiya vo sab jo tere bas mein tha,
usee bandhan se mukt ho aage badhane ka samay aaya hai,
pal-pal, kshan-kshan, naee udaan bharate hue
nae geet gaane hain, tasaveer mein nae rang bharane hain,
sapt chakr ke jeevan mein sumadhur yaaden batorane ka,
kuchh apano se vida lene ka, kuchh nae rishte jodane ka vakt aaya hai,
aaj phir us mod par mudana hua
jab rakha tha pahala kadam mainne is dehaleez par…..
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