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स्मृति
चले आते हो यादों में,
कभी ठंडी हवा ,
कभी सैलाब बन कर,
भिगो जाते हो,
रूह के रोम-रोम को,
कभी ओस, तो कभी,
बारिश बनकर….
हर गुज़ारा लम्हा,
याद आता है रह-रह कर,
कभी देता है हिम्मत,
तो कभी दर्द बेशुमार,
हंसा जाता है कभी,
तो बह जाता है कभी,
आँसूं बन कर…..
—–XxXxX—–
smrti
chale aate ho yaadon mein,
kabhee thandee hava ,
kabhee sailaabh ban kar,
bhigo jaate ho,
rooh ke rom-rom ko,
kabhee os, to kabhee,
baarish banakar….
har guzaara lamha,
yaad aata hai rah-rah kar,
kabhee deta hai himmat,
to kabhee dard beshumaar,
hansa jaata hai kabhee,
to bah jaata hai kabhee,
aansoon ban kar…..
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