मन की आरज़ू
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मन की आरज़ू

मन की आरज़ू by Ranjeeta Nath Ghai झूटी कसमें… टूटे वादेबिखरे ख्वाब, अधूरे सपने,नादान सी हसरतें,कुछ मचलती ख्वाहिशें;और फिर वही रंजिशें हैं|गुज़रे लम्हों औरउम्मीदों की कश्ती पर सवार,अनंत ही तो हैं इस चंचलमन की आरज़ू कभी रोकरतो कभी हँसकर ही सही,हर इलज़ामहमने अपने सर ही पाया है|तमन्नाओं का गला घोंट,तन्हाई संग रास रचाया,इस ख़ामोशी में…

Zindagi Ka Sabak | ज़िन्दगी का सबक
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Zindagi Ka Sabak | ज़िन्दगी का सबक

Zindagi Ka Sabak | ज़िन्दगी का सबक सीखा है ज़िन्दगी का सबककुछ इस तरह,अपनों ने दिए जख्म और मलहमगैर लगा रहे हैं,ता-उम्र के वादे करकेदो पल साथ बैठने की गुजारिश भी नहीं,किसको कहे अपना यहाँ,जब अपने ही नजरें फेरे जा रहे हैं..!! ढूँढेंगी नजरें जब इस काफिर को,दूर….बहुत दूर…..पाओगे हमें,हम तो तेरे ही दिवाने हैं,लुट…

क्या है कविता
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क्या है कविता

क्या है कविता -by Nidhi Bansal ख्यालों में बुनी जाएजज्बातों में कही जाएवो है कवितानम आंखों में मुस्कुराएखामोशी में गुनगुनाएवो है कविता है इबादत कभीगुरबाणी है कविताराम की कथनीकबीर के दोहे में कविता मां की लोरीउसकी डांट में कविताबहन के लाड़उसके प्यार में है कविता पिता के शासनप्रोत्साहन में है कविताभाई की फटकारउसके अधिकार में…

आकाश बहुत ऊँचा है और दूर बहुत हैं तारे
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आकाश बहुत ऊँचा है और दूर बहुत हैं तारे

आकाश बहुत ऊँचा है और दूर बहुत हैं तारे -by Ranjeeta Nath Ghai आकाश बहुत ऊँचा हैऔर दूर बहुत हैं तारेपर जब तुम पास होते हो मेरेतो सपने सच होते हैं सारे नभ का अँधेरा छट जाता हैअधूरे खवाब पूरे होते हैंजब चाँद मेरा नज़र आता हैतब सपने जवां होते हैं तुम आओगे मुझसे मिलने…

लम्हें
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लम्हें

लम्हें -by Ranjeeta Nath Ghai शायद ही हम कोई ऐसा लम्हा जीए जाते हैं,जो तुम्हारी याद से वाबस्ता ना हो,दिल की धड़कन से साँसों तक की मंजिल में,हर मोड़ पर हम, तुम्हारे ही अफसाने बसाए जाते हैं… मेरी हर ख्वाइश, हर मुस्कराहट, और,हर सपने पर, तुम्हारा ही इख्तियार हो,हर लम्हा, हर कदम, हर मुश्किल में,तुम्हारा…

आज की नारी
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आज की नारी

आज की नारी -सरितासृृजना बार-बार वही पर, हर बार नहीसुनो ,ऐ दुनियावालोंंये, अत्याचार इस बार नही।लड जाऊँँ तूफानोंं से, टकरा जाऊँँ चट्टानोंं सेसमझ जाओ, इतनी भी अब मैंं लाचार नहीकर लो भरोसा, “आज की नारी “हूँँइतनी भी कमजोर नही,लगते लांंछन हर पलमर्यादाओंं का उल्लंंघन , ऐसे मेरे संंस्कार नही।संंभल जाओ, ताकत के मद मेंं जीनेवालोंंकर…

बैठे बैठे
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बैठे बैठे

बैठे बैठे -by Naresh Thadani बैठे बैठे मैं…इक खयाल बन जाता हूँ। जिसका कोई जवाब नहीं…मैं वोह सवाल बन जाता हूँ। नफरत और प्यार के बीच कीउस डोर का मैं..अदभुत बवाल बन जाता हूँ। अनसुलझी गुत्तियों का मैं..क्रूर जंजाल बन जाता हूँ। दुखती रत पे हाथ रख केसाँस जो लूँ मैं…वोह मिसाल बन जाता हूँ।…

मोहब्बत ख़त्म हुई
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मोहब्बत ख़त्म हुई

मोहब्बत ख़त्म हुई -by Naresh Thadani मोहब्बत ख़त्म हुई।प्यार का नज़राना अभी बाक़ी हैयार का फ़साना अभी बाक़ी है। मोहब्बत ख़त्म हुईदिल का तड़पना अभी बाक़ी हैरूह को जलाना अभी बाक़ी है। मोहब्बत ख़त्म हुईगिर के संभालना अभी बाकी हैमुक़म्मल खड़ा रहना अभी बाक़ी है। मोहब्बत ख़त्म हुईसाकी से दे प्याला पे प्याला अभी बाक़ी…

स्मृति
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स्मृति

स्मृति चले आते हो यादों में,कभी ठंडी हवा ,कभी सैलाब बन कर,भिगो जाते हो,रूह के रोम-रोम को,कभी ओस, तो कभी,बारिश बनकर…. हर गुज़ारा लम्हा,याद आता है रह-रह कर,कभी देता है हिम्मत,तो कभी दर्द बेशुमार,हंसा जाता है कभी,तो बह जाता है कभी,आँसूं बन कर….. —–XxXxX—– smrti chale aate ho yaadon mein,kabhee thandee hava ,kabhee sailaabh ban…

मैं खुद से खुद को जोड़ आई
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मैं खुद से खुद को जोड़ आई

मैं खुद से खुद को जोड़ आई by Ranjeeta Ashesh/रंजीता अशेष बेपरवाह, बेसुध सा समन्दर मस्ताए,अपने खारेपन पर देखो कितना इतराए,उसकी भीगी रेत पर मै पैरों के निशां छोड़ आई,मैं खुद से खुद को जोड़ आई। उन्मुक्त गगन को, कैसे घूरता जाए,जुनून से किनारे पर हड़कम्प मचाए,देख रंगत उसकी,मै संकोच का शीशा तोड़ आई ,मैं…

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